Jalvayu Kise Kahate Hain? आपको जलवायु क्या हैं? जलवायु परिवर्तन क्या है? Jalvayu aur mausam me kya antar hain? Jalvayu apatkal kya hain? Jalvayu vigyan kise kahte hain? इस के बारे में जाना हैं। तो आप बिलकुल सही जगह पे आए हो। आपको इस article में जलवायु के बारे में पूरी जानकारी दि जाएगी तो article को अंत तक पढ़ना मत भूलना।
क्या आपको पता हैं, हर देश तथा राज्य की जलवायु अलग-अलग होती है। किसी जगह की जलवायु मानसूनी है तो कही की गर्म जलवायु हैं। आइए जलवायु को हम विस्तार से समझते हैं।
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जलवायु क्या है?|Jalvayu Kise Kahate Hain?
जलवायु किसी बड़े इलाके का औसत मौसम है। जो कि एक लंबे समय से बना रहता है। उदाहरण के लिए – भारत की जलवायु यूरोप की तुलना में अलग है।
यूरोप में अक्सर बर्फबारी होती है और भयानक सर्दी पड़ती है। भारत में ऐसी बर्फबारी और सर्दी नहीं पड़ती। सरल शब्दों में किसी इलाके का किसी एक तरह का औसत मौसम अगर लंबे समय से बना रहता है। तो उसे उस इलाके की जलवायु कहा जाता है।
मौसम जहां कुछ दिनों या घंटों में बदल सकता है, वहीं जलवायु बदलने में सैकड़ों हजारों साल का समय लगता है।
जलवायु का अर्थ क्या है?| Jalvayu ka arth kya hain?
किसी स्थान या क्षेत्र विशेष की प्राकृतिक स्थिति जिसमें वहाँ प्राणियों और पेड़-पौधों का विकास होता है। गरमी-सरदी को सूचित करने वाली प्राकृतिक दशा जिसका प्रभाव जीवों-वनस्पतियों पर पड़ता है। उसे जलवायु कहते हैं।
जलवायु परिवर्तन क्या है?| Jalvayu parivartan kya hain?
जलवायु परिवर्तन औसत मौसमी दशाओं के पैटर्न में ऐतिहासिक रूप से बदलाव आने को कहते हैं। सामान्यतः इन बदलावों का अध्ययन पृथ्वी के इतिहास को दीर्घ अवधियों में बाँट कर किया जाता है। जलवायु की दशाओं में यह बदलाव प्राकृतिक भी हो सकता है और मानव के क्रियाकलापों का परिणाम भी।
Jalvayu parivartan ke kuch prakar
जलवायु परिवर्तन के कुछ प्रकार नीचे दिए गए हैं।
- जलवायु परिवर्तन को समझने से पहले यह समझ लेना आवश्यक है, कि जलवायु क्या होता है? सामान्यतः जलवायु का आशय किसी दिये गए क्षेत्र में लंबे समय तक औसत मौसम से होता है।
- अतः जब किसी क्षेत्र विशेष के औसत मौसम में परिवर्तन आता है, तो उसे जलवायु परिवर्तन (Climate Change) कहते हैं।
- जलवायु परिवर्तन को किसी एक स्थान विशेष में भी महसूस किया जा सकता है एवं संपूर्ण विश्व में भी यदि वर्तमान संदर्भ में बात करें तो यह इसका प्रभाव लगभग संपूर्ण विश्व में देखने को मिल रहा है।
- पृथ्वी के समग्र इतिहास में यहाँ की जलवायु कई बार परिवर्तित हुई है। एवं जलवायु परिवर्तन की अनेक घटनाएँ सामने आई हैं।
- पृथ्वी का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक बताते हैं, कि पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। पृथ्वी का तापमान बीते 100 वर्षों में 1 डिग्री फारेनहाइट तक बढ़ गया है। पृथ्वी के तापमान में यह परिवर्तन संख्या की दृष्टि से काफी कम हो सकता है, परंतु इस प्रकार के किसी भी परिवर्तन का मानव जाति पर बड़ा असर हो सकता है।
- जलवायु परिवर्तन के कुछ प्रभावों को वर्तमान में भी महसूस किया जा सकता है। पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होने से हिमनद पिघल रहे हैं और महासागरों का जल स्तर बढ़ता जा रहा, परिणामस्वरूप प्राकृतिक आपदाओं और कुछ द्वीपों के डूबने का खतरा भी बढ़ गया है।
Jalvayu aur mausam me kya antar hain?
- किसी स्थान का मौसम उस स्थान के तापमान, आर्द्रता, पवन दिशा और प्रवाह, वायुदाब, वर्षा आदि के तात्कालिक प्रभाव को कहते हैं। पर किसी विस्तृत क्षेत्र के लगभग तीस वर्षों के औसत मौसम को उस स्थान की जलवायु कहते हैं।
- किसी स्थान का मौसम समय के साथ परिवर्तनीय होता है पर किसी स्थान की जलवायु लगभग स्थायी होती है।
- किसी स्थान के मौसम पर वहां के तापमान, आर्द्रता, वायुदाब, बादलों की स्थिति, पवन आदि का प्रभाव पड़ता है। पर किसी स्थान की जलवायु पर इन सब चीज़ों के साथ साथ अक्षांश, सौरप्रकाश, महासागरीय धाराएं, वायुदाब पट्टियां, तूफान, ऊंचाई आदि कई अन्य चीज़ों का भी प्रभाव पड़ता है।
- मौसम गतिशील होता है। पर जलवायु लगभग स्थिर होता है। यह वर्षों तक स्थिर बना रहता है।
- किसी स्थान का मौसम बारिश का हो सकता है गर्मी या ठंडी या तूफान का हो सकता है। पर किसी स्थान की जलवायु स्थाई रूप से नम, ठंडा या गर्म हो सकता है।
- मौसम छोटे क्षेत्रों और छोटे कालखंडों को व्यक्त करता है। पर जलवायु बड़े भूखंडों और बड़े कालखंडों को व्यक्त करता है।
- मौसम के अध्ययन को मेटेरोलॉजी कहते हैं। पर जलवायु के अध्ययन को क्लाइमटोलॉजी कहते हैं।
इस प्रकार हम देखते हैं की, मौसम वातावरण के दैनिक परिवर्तन को कहते हैं। पर जलवायू उस स्थान के स्थायी मौसम को कहते हैं।
हम कह सकते हैं कि , आज का मौसम बहुत ठंडा हैं। पर हम यह नहीं कह सकते की आज का जलवायू बहुत ठंडा हैं।
Jalvayu apatkal kya hain?
- जलवायु आपातकाल’ की घोषणा किन परिस्थितियों में की जा सकती है। इसकी कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है, लेकिन ब्रिस्टल और लंदन सहित कई शहरों ने पहले ही जलवायु आपातकाल घोषित किया है।
- हमारे पर्यावरण में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा बढ़ने के परिणामस्वरूप जलवायु आपातकाल की स्थिति उत्पन्न हो रही है। ये गैस हमारे प्लैनेट को लगातार गर्म कर रहे हैं, जो एक वैश्विक आपदा के समान है।
- जब तक इन गैसों को शून्य स्तर पर नहीं लाया जाता तब तक इन गैसों का परिणाम ग्लोबल वार्मिंग के रूप में सामने आएगा जो मानवता तथा दुनिया के पारिस्थितिक तंत्रों के लिए विनाशकारी होगा।
- इस आपातकाल की नैतिक प्रतिक्रिया का लक्ष्य मानव तथा जीव-जंतुओं समेत सूक्ष्म जीवों के अधिकतम सुरक्षा पर आधारित होना चाहिये।
- अधिकतम सुरक्षा का मतलब है जल्द-से-जल्द ग्लोबल वार्मिंग को कम करना और ग्लोबल कूलिंग के लिए सकारात्मक प्रयास करना।
- उल्लेखनीय है कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने का वर्तमान लक्ष्य 2050 तक इसे 80% (1990 के स्तर की तुलना में) तक लाना है।
- 8 अक्तूबर, 2018 को जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (Intergovernmental Panel on Climate Change-IPCC) ने जलवायु विज्ञान की स्थिति पर एक महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट जारी की थी।
- रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि यदि प्लैनेट 1.5⁰C तक गर्म होता है तो इसके विनाशकारी परिणाम यथा- अधिकांश प्रवाल भित्तियों का नष्ट होना तथा एक्सट्रीम वेदर जैसे-हीट वेव तथा बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि होगी।
- इस सप्ताह की शुरुआत में वेल्श और स्कॉटिश सरकारों ने जलवायु आपातकाल घोषित किया था। स्कॉटलैंड में 2045 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को शून्य स्तर पर लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
Jalvayu aapatkal ki ghoshna kyuki?
- संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि जलवायु परिवर्तन से होने वाली तबाही को रोकने के लिए हमारे पास सिर्फ 11 साल का समय रह गया है।
- एक सरकार या निकाय द्वारा जारी की गई जलवायु आपातकाल की घोषणा जलवायु परिवर्तन के लिये एक स्पष्ट कार्ययोजना तथा समुदाय-व्यापी कार्रवाई के लिए एक शक्तिशाली उत्प्रेरक हो सकती है।
- जलवायु आपातकाल की घोषणा की उम्मीद तब की जा सकती है जब जलवायु परिवर्तन के कारण जीवन के लिए खतरे की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। तथा सरकारों द्वारा इसके लिए कोई समुचित कार्यवाही नहीं की जाती है।
- जलवायु परिवर्तन निश्चित रूप से सबसे गंभीर वैश्विक पर्यावरणीय संकट है जिसका हम सामना करते हैं।
Jalvayu vigyan kise kahte hain?
मौसम और जलवायु दो अलग बातें हैं। वायुमंडल की तात्कालिक या अल्पकालिक स्थिति को मौसम कहते हैं। और जलवायु किसी स्थान की तीस वर्ष या इससे अधिक समय की औसत परिस्थिति को बताता है।
किसी वर्ष के किसी नियत दिन का मौसम दूसरे वर्ष के उसी दिन वैसा ही रहे, यह आवश्यक नहीं है। उसमें बहुत कुछ हेरफेर हो सकता है, किंतु दोनों दिनों के जलवायु में कोई अंतर नहीं पड़ेगा यदि लंबी अवधि की औसत स्थिति में इस बात का संकेत न हो कि उस स्थान के जलवायु में परिवर्तन हो रहा है।
विश्व के विभिन्न भूभागों के जलवायु का अध्ययन जलवायु विज्ञान कहलाता है। किसी भूभाग के जलवायु का निर्णय मौसम विज्ञान घटक के किसी एक ही तत्व के बहुवार्षिक औसत से नहीं होता, वरन् कई महत्वपूर्ण तत्वों, जैसे दाब, ताप, वर्षा, आर्द्रता, बदली, वायु और धूप आदि के सामान्य मानों के संयोजन से होता है। साथ ही इन तत्वों के सामान्य दैनिक और वार्षिक परिवर्तन, इनके चरम मान तथा चरम मानों के संपात या असंपात का ज्ञान भी आवश्यक है।
उदाहरणार्थ – ताप, आर्द्रता, और वर्षा का दैनिक तथा वार्षिक परिवर्तन, वर्षा जाड़े में होती है या गर्मी में, जाड़े और गर्मी के विभिन्न महीनों में वर्षा का वितरण, वायु की गति और दिशा आदि बातों की जानकारी परमावश्यक है। विभिन्न महीनों में इन तत्वों के सामान्य आवर्ती तथा अनावर्ती हेरफेर भी जलवायु के महत्वपूर्ण पहलू हैं।
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निष्कर्ष
इस article में हम ने आपको जलवायु किसे कहते हैं। के बारे में पूरी जानकारी दि हैं। आपको सब जानकारी सरल और आसान भाषा में समझा ने की हम नें पूरी कोशिश की हैं।
इस article में हम ने जलवायु क्या हैं, जलवायु का अर्थ क्या हैं, जलवायु परिवर्तन क्या हैं, जलवायु परिवर्तन के कुछ प्रकार, जलवायु और मौसम में क्या अंतर हैं, जलवायु आपातकाल क्या हैं, जलवायु आपातकाल की घोषणा क्यों की और जलवायु विज्ञान किसे कहते हैं। इतनी सारी जानकारी हम ने दि हैं।
कोई सवाल और सुझाव हो तो निचे कमेंट करें, इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका दिल से धन्यवाद्!
हम आशा करते हैं Jalvayu Kise Kahate Hain समझ गए होंगे, अगर कुछ समझ नहीं आए तो article एक बार फिर से एकाग्रता से पढ़ ले आप सब समझ जायेंगे।
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