Loktantra kya hai? क्या आप यह जानना चाहते हैं कि democracy या लोकतंत्र क्या है? या loktantra kya hai in hindi, तो हमारे इस article को अंत तक जरूर पढ़ें।
आपने बहुत सारे platforms पर इस सवाल को पूछा है कि democracy का मतलब क्या होता है या लोकतंत्र का मतलब क्या है, तो हम आपको इस आर्टिकल की मदद से लोकतंत्र के बारे में पूरी जानकारी देना चाहेंगे। loktantra kya hai, क्यों बनाया गया है और इसके क्या फायदे हैं।
तो चलिए शुरू करते हैं।
किसी भारतीय ने कुछ सालों पहले एक बात कही थी कि, “हमें आजादी अपना सब कुछ खोकर मिली है, तो हमारे लिए है यह सबसे ज्यादा जरूरी है।”
लोकतंत्र केवल सालों में होने वाले चुनावों को नहीं कहा जाता है, नाही voters के turnouts को और नाही oratory को।
लोकतंत्र का सबसे बड़ा objective है, हर इंसान के पास देश के हर decision में बोलने का हक होना चाहिए और समाज से जुड़ी हुई बातों में उसकी भी राय लेनी चाहिए, चाहे वह किसी भी उम्र, जाती, धर्म का हो।
लोकतंत्र का मतलब क्या होता है और इसका इस्तेमाल कहां पर किया जाता है?
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लोकतंत्र क्या है? (loktantra kya hai)
दुनिया के बड़े democratic देशों में, लोकतंत्र एक ऐसी चीज है जो लोगों के बारे में लिए जाने वाले फैसलों में उन्हें अपनी साझेदारी देने का मौका देती है, इसकी वजह से देश में शांती कायम रहती है और इसकी मदद से लोग अपनी आजादी बरकरार हैं।
दुनिया में अलग-अलग विचारकों के हिसाब से लोकतंत्र का मतलब अनेक तरीकों में समझाने की कोशिश की गई है। लेकिन असलियत में लोकतंत्र वह प्रणाली है जो लोगों को अपनी बात और विचार रखने का मौका देती है और उन्हें इस बात का अधिकार मिलता है कि वह देश के हित में जुड़े हुए फैसलों में अपना सहयोग दे सकें।
लोकतंत्र और स्वतंत्रता दो अलग-अलग शब्द है। लेकिन हमेशा लोग यही समझते हैं कि लोकतंत्र को ही स्वतंत्रता कहते हैं। स्वतंत्रता वह है जो हमारे देश को बहुत समय लड़ने के बाद आजादी के माध्यम से मिली है, और लोकतंत्र उस आजादी को कायम रखने का ही एक तरीका है, असलियत में लोकतंत्र लोगों को सोचने की और अपने विचार प्रकट करने की आजादी देता है।
लोकतंत्र को प्रजातंत्र भी कहा जाता है। लोकतंत्र शासन करने का एक system है, जिसमें लोग अपना उम्मीदवार खुद चुनते हैं, और जो इंसान जनता के वोटों की मदद से जीत जाता है वह हमारे देश को संभालता है। तो उम्मीद करते हैं कि आपको समझ आ गया होगा कि loktantra kya hai aur kyon.
जनता के द्वारा चुना गया उम्मीदवार जनता के लिए और जनता के हित में ही शासन करता है। लोकतंत्र दो शब्द लोक और तंत्र से मिलकर बना है, जिसका मतलब होता है, लोगों का तंत्र या फिर देश के लोगों का शासन।
क्या आप जानना चाहते हैं कि loktantra ka dusra naam kya hai?
लोकतंत्र को sanskrit भाषा में प्रजातंत्र भी कहा जाता है, और इसे इंग्लिश में democracy भी बोला जाता है, तो अगर आप जानना चाहते थे कि loktantra kya hai in english तो यह आपके सवाल का जवाब होगा।
लोकतंत्र की परिभाषा क्या है? (loktantra kya hai paribhasha)
जनता के द्वारा बनाया गया शासन, जो जनता के लिए काम करता है, उसे ही लोकतंत्र की परिभाषा के रूप में बताया जाता है।
जिसका मतलब बहुत ही ज्यादा सरल है, कि लोकतंत्र लोगों के हिसाब से चुने गए उम्मीदवार, जो लोगों के हित में काम करते हैं, ऐसे ही शासन का एक system है।
जैसे-जैसे समय बीतता गया, लोकतंत्र की अवधारणा भी बदलती गई है, समझदार इंसानों ने लोकतंत्र की बहुत सी अवधारणा बताई हैं।
जिसमें से बहुत सी अवधारणाओं को आज तक execute नहीं किया गया है।
अब हमको अब हम आपको लोकतंत्र की दो मुख्य अवधारणाओं के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं।
प्रतिनिधि लोकतंत्र
प्रतिनिधि लोकतंत्र में जनता सरकार के अधिकारी को सीधे चुनती है, यह अधिकारी जिले और संसदीय क्षेत्र के हिसाब से चुने जाते हैं। मतलब की इस तरीके में प्रतिनिधि लोगों के या जनता के हिसाब से चुने जाते हैं। लेकिन इस काम को करने का तरीका प्रतिनिधि खुद चुनता है।
प्रतिनिधि अपने ताकत और अधिकार का इस्तेमाल करके सरकारी तंत्र को चलाता है।
सीमित समय के बीत जाने के बाद उस चुने गए इंसान को अपनी जगह छोड़नी पड़ती है, और उसके बाद चुनाव की मदद से नए प्रतिनिधि को चुना जाता है।
इस तरीके में एक खामी यह है कि एक बार अगर किसी प्रतिनिधि को चुन लिया जाता है, तो फिर उसके अधिकारों और ताकतों का गलत इंसानों द्वारा इस्तेमाल किए जाने की आशंका रहती है।
लेकिन इस तरीके की एक विशेषता यह भी है कि सीमित समय के बाद प्रतिनिधि के बदल जाने के कारण, उम्मीदवारों को जनता के दबाव में रहकर उनके हित में काम करना पड़ता है, वरना जनता वापस उस उम्मीदवार को नहीं चुनेगी।
क्या आप जानना चाहते हैं कि dal vihin loktantra kya hai?
दल विहीन लोकतंत्र वह लोकतंत्र होता है, जहां पर कोई भी राजनीतिक पार्टी, parliamentary और presidential तरीके की सरकार ना हो। इस बात का सुझाव सबसे पहले M.N Roy ने दिया था।
Direct Democracy (लोकतंत्र)
Direct लोकतंत्र के सिस्टम में जनता ही सीधे रूप से शासन में भाग लेती है। जनता के चुनावों के हिसाब से ही फैसले लिए जाते हैं और जनता के फैसलों के हिसाब से ही काम किए जाते हैं, इसमें कोई भी उम्मीदवार नहीं होता है।
लेकिन बड़े राज्यों और देशों में direct लोकतंत्र का शासन असंभव होता है, छोटे राज्यों और देशों में direct लोकतंत्र का शासन संभव हो सकता है।
क्या आपको मालूम है कि gair loktantra kya hai?
किसी भी गैर लोकतंत्र वाले राज्य में, लोग अपने नेता को खुद नहीं चुनते हैं और नाही उधर के कानून में उनकी राय ली जाती है।
लोकतंत्र कैसे बना और इससे जुड़े लोगों के सवाल क्या हैं? (लोकतंत्र के tatva kya hai और tantra kya hai?)
लोकतंत्र के बनने के पीछे बहुत सारे सवाल जुड़े हुए हैं, इसे समाज की परेशानियों को ठीक करने के लिए बनाया गया था।
अगर कोई सरकार जो लोगों द्वारा बनाई जाती है या लोगों के लिए होती है– एक चर्चित सरकार के रूप में उभर कर आना चाहती है तो उसे इन सात fundamental सवालों के जवाब ढूंढने होंगे और उनमें से कम से कम 2 के जवाब तो पता होने ही चाहिए अगर वह लोकतंत्र को लंबे समय तक चलाना चाहते हैं तो। तो यह सात सवाल क्या है? चलिए आपको बताते हैं।
(1) एक democratic सरकार बनने की सही unit या association किस तरह से बताई जा सकती है? क्या वह एक शहर में बन सकती है? एक देश में? एक international organization में? या फिर इन सभी में?
(2) अगर एक सही association बता दिया जाए जैसे कि उदाहरण के लिए एक शहर, तो उनके मेंबर्स में से किन लोगों को पूरी नागरिकता का फायदा मिलना चाहिए? जबकि बाकी के लोग उसकी स्थापना करें? क्या उस association के हर मेंबर को उस पर शासन करने का मौका मिलना चाहिए? जहां पर हम यह assume कर रहे हैं कि बच्चों को उस में भाग लेने का मौका नहीं मिलेगा, जिस बात से बड़े agree करेंगे, क्या भाग लेने वाले लोगों में केवल सारे बड़े ही होने चाहिए? या फिर उसमें बड़ों की पापुलेशन का केवल एक ही हिस्सा होता है, तो वह कितना ज्यादा छोटा होगा की उसकी मदद से लोकतंत्र ज्यादा समय तक चल सके और लोग उसका पालन करें?
(3) अगर एक सही आंकड़ा बता दिया जाए कि इतने ही लोग राज करने के काबिल होंगे, तो वह लोग किस तरह से देश का शासन करेंगे? उन्हें किन राजनीतिक organizations या institutions की जरूरत पड़ेगी? क्या यह इंस्टीट्यूशंस दूसरे अलग- अलग तरह के एसोसिएशंस से अलग होंगी– जैसे की एक छोटा सा शहर और एक बहुत बड़ा देश?
(4) जब नागरिकों में एक बात को लेकर तनाव हो जाएगा तो उस समय किन बातों को ध्यान में रखा जाएगा और किन हालातों में उसका हल निकाला जाएगा? अगर किसी बात पर एक जुट की मेजोरिटी हुई तो क्या वह हमेशा जीतेंगे, या फिर माइनॉरिटी को भी कभी-कभी फायदा मिलेगा कि वह मेजॉरिटी से ऊपर आ सकें?
(5) अगर मेजॉरिटी हमेशा जीतेगी, तो मेजॉरिटी के एक सही आंकड़े के बारे में किस तरह से बताया जाएगा? क्या वह सारे देशवासियों की मैच्योरिटी के रूप में बताया जाएगा? वोटर्स की मेजॉरिटी के रूप में? या फिर एक प्रॉपर majority के रूप में जिसमें अलग-अलग नागरिकों के रूप में आंकड़ा न देकर एक ग्रुप या नागरिकों की एसोसिएशन के रूप में उस आंकड़े को बताया जाएगा, जैसे कि hereditary समूह या फिर territorial एसोसिएशंस?
(6) इन सवालों को पढ़कर आपको यह लग रहा होगा कि एक छटवा सवाल तो होना ही चाहिए, इसमें एक बहुत ही जरूरी सवाल है कि “लोगों को” शासन क्यों करने देना चाहिए? क्या लोकतंत्र सच में monarchy से ज्यादा बेहतर है? या फिर जैसा की बहुत सारे लोग अपने blogs में कहते हैं कि सबसे बढ़िया सरकार तभी चलती है जब वह सबसे ज्यादा qualified लोगों की एक माइनॉरिटी के द्वारा चलाई जाती है। ऐसे कौन से reasons हैं जिनकी वजह से हम यह कह सकते हैं कि यह view गलत है।
(7) कोई भी association एक लोकतंत्र वाली सरकार को नहीं चला पाती है, अगर लोकतंत्र को चलने वाली मेजॉरिटी या फिर उस सरकार के ज्यादातर लोग इस बात पर भरोसा करते हैं, कि दूसरे तरीके की सरकार ज्यादा अच्छी होती है। इसी वजह से, अगर किसी सरकार को लंबे समय तक लोकतंत्र को चलाना है, तो सरकार को बनाने वाले लोगों को और उसे चलाने वाले लोगों को भी यह इस बार पर भरोसा करना होगा कि यह सरकार बाकियों से ज्यादा बेहतर है। और वह क्या कंडीशन है, जो लोकतंत्र को चलाने में मदद करती हैं? वह क्या कंडीशन है जो इसे हानि पहुंचाती हैं? ऐसा क्यों है कि कुछ democracies बुरे हालातों में भी निखर कर आती हैं, जबकि कुछ अच्छे हालातों में भी बिखर जाती हैं?
लोकतांत्रिक संस्थान (Institutions) क्या होती हैं?
पुराने Greeks के समय से, लोकतंत्र के बारे में लिखा भी गया था और इसका इस्तेमाल भी किया गया था, और इसमें बहुत सारे बदलाव भी किए गए थे।
जिनमें से बहुत सारे बदलावों की वजह से हमें एक से 3 तक के सवालों के जवाब मिल गए हैं। इसी वजह से, जो संघठन हजारों सालों तक चल रही थी, उनका केवल राज था वह था लोकतंत्र, उन संस्थाओं में लोकतंत्र की practice की जाती थी, उनकी tribe या फिर शहर छोटे थे, इसी वजह से वहां पर direct लोकतंत्र या फिर assembly के तौर पर लोकतंत्र का इस्तेमाल किया जाता था।
बहुत सालों बाद, 18th century की शुरुआत में, जैसे-जैसे पुरानी संघठन एक देश बनकर उभरे, डायरेक्ट लोकतंत्र की जगह प्रतिनिधि लोकतंत्र का इस्तेमाल किया जाने लगा, यह एक ऐसा बदलाव था, कि अगर पुराने Athens के नागरिकों से यह बात पूछी जाती तो वह कहते कि बड़े संघठन जैसे कि France या फिर United States उनके लिए डेमोक्रेटिक है ही नहीं।
एक और बहुत जरूरी बदलाव जो सवाल नंबर दो से जुड़ा हुआ है, वह यह है कि अभी कुछ समय पहले ही, बहुत सी लोकतांत्रिक संगठनों ने adults की पापुलेशन में से जो लोग सरकार में हिस्सा लेते हैं उसे कम कर दिया है।
बीसवीं सेंचुरी की शुरुआत में, यह राइट सारे एडल्ट लोगों को थी। एक contemporary democratic तो यही कहेगा कि Athens एक लोकतांत्रिक संगठन नहीं था क्योंकि वहां पर बहुत से adults जनता की और से सरकार में आ सकते थे, हालांकि लोकतंत्र का इस्तेमाल सबसे पहले Athens में ही शुरू हुआ था।
इन बदलावों के बावजूद भी, हम यह कह सकते हैं कि पुरानी संगठनों में भी एक तरह से “लोगों का ही राज होता था”, चाहे वह पूरी तरह से लोकतांत्रिक ना हों।
लोकतंत्र का इस्तेमाल पहले किस रूप में किया जाता था?
हालाकि, इस बात को मानना बहुत tempting है कि लोकतंत्र को एक ही जगह और समय पर बनाया गया होगा, जो ज्यादातर लोगों के हिसाब से 500 BCE में Greece में था।
सबूतों के हिसाब से यही पता चलता है कि लोकतांत्रिक सरकार दुनिया के बहुत सारे हिस्सों में पहले से ही मौजूद थी जब पांचवी सदी शुरू भी नहीं हुई थी।
इस बात को मानना बहुत ही ज्यादा plausible लगता है कि एक बढ़िया तरीके से बने हुए ग्रुप में लोकतंत्र किसी ना किसी form में तो होगा ही, अगर वह ग्रुप बाहर के लोगों के कंट्रोल से बाहर है और अपने मेंबर्स को इजाजत देता है कि वह अपने कार्य खुद कर सके और अगर उस ग्रुप के कुछ लोग जैसे कि उस tribe के बड़े बूढ़े उसके affairs को संभालते हैं और उस समूह के decisions लेते हैं, तो हम यह कह सकते हैं कि वह लोकतंत्र का इस्तेमाल करते थे।
बहुत सारी studies में यह माना गया है कि अनपढ़ tribal के समाजों में, जहां पर लोकतांत्रिक सरकार बहुत पहले से ही मौजूद थी, जिस समय इंसान जानवरों को मारकर और चीजें जोड़कर जीता था, वहां पर लोग लोकतंत्र के हिसाब से ही जीते थे।
आदिमानव के समय में, लोकतंत्र इसी रूप में इस्तेमाल किया जाता होगा, और यह लोकतंत्र का शायद सबसे “natural” राजनीतिक तरीका यही था।
अब आपको समझ आ रहा होगा कि loktantra kyu इस्तेमाल किया जाता है।
जब जानवरों को मारने का और चीज में एकत्रित करने का वह बहुत लंबा समय भी बीत गया और इंसान एक ही जगह पर एक community के तौर पर रहने लगे, क्योंकि वहां पर खेती-बाड़ी करने और आपस में लेनदेन करने में भी आसानी थी।
उसकी वजह से लोग सरकार बनाने के डिसीजन को बहुत ही कम जगह मानते थे। Communities के बीच में बहुत बड़ा gap बनने लगा, धन को लेकर और military की ताकत को लेकर, इसी वजह से कुछ communities बहुत ही ज्यादा छोटी और कमजोर बन गई, जबकि कुछ बहुत ही ज्यादा विशाल और ताकत बन गई।
इसी वजह से सोशल organization के तरीकों को बनाने का आईडिया लोगों को बताया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि लोगों के बीच में बनी बहुत सी चर्चित सरकारें खत्म होनी लगीं और उसकी जगह monarchy, despotism, आदि के ऊपर ऐसी सरकारें बननी शुरू हुई जो हजारों साल तक चली।
फिर, 500 BCE में, बहुत छोटे लोकतंत्र को बनाने की बात चलने लगी, और बहुत से छोटे ग्रुप चर्चित सरकारी बनाने लगे। पिछड़ा हुआ लोकतंत्र, जिसके बारे में हम यह कह सकते हैं, कि उसे और भी ज्यादा नए तरीके से बनाया गया। सबसे ज्यादा जरूरी निर्माण Mediterranean, Greece और Rome की दो जगाहों में हुआ।
लोकतंत्र को लेकर क्या दुविधा आई थी?
ग्रीक, रोमन, और इटालाइन रिपब्लिक के लीडर्स ने बहुत लंबे समय तक चलने वाले सरकारे बनाई थी, और उनके philosophers ने इसका influence दुनियाभर में फैलाया है।
फिर भी उनकी राजनीतिक संगठनों को दूसरे दूसरी लोकतांत्रिक सरकारों के फाउंडर ने emulate नहीं किया था, Europe और North America के देशों में।
यह संगठन शहर से बड़ी राजनीतिक संगठनों के लिए suited ही नहीं थी।
जैसा कि आप जानते होंगे कि शहर में और देश में कितना ज्यादा अंतर होता है, और वहां पर लोकतंत्र का इस्तेमाल करना बहुत ही ज्यादा कठिन हो सकता है।
अगर उनकी सरकार influence को सीधे-सीधे conduct नहीं कर सकती– जैसे कि एक assembly में भाग लेकर, तो वह उसे शहर तक लिमिट कर सकती है, ताकि लोकतंत्र का इस्तेमाल वहां पर भी किया जा सके।
लेकिन उस आकार को कम करने का एक मूल्य भी चुकाना पड़ता है: जब कोई बहुत बड़ी दिक्कत आती है, जैसे कि एक बहुत ही बड़े और ताकतवर स्टेट के खिलाफ अपना बचाव करना और trade, और finance को चालू रखना, उस सरकार के लिए यह बहुत ही ज्यादा कठिन हो जाएगा, जो शहर के हिसाब से लोकतंत्र का इस्तेमाल करती है।
अगर इसे दूसरे नजरिए से देखें तो, अपने शहर से लेकर देश तक के आकार को बढ़ाकर, मतलब की अपने geographic area और पापुलेशन को बढ़ाकर, नागरिक अपनी सरकार को वह क्षमता दे सकते थे, जिसकी मदद से वह आसानी से बड़ी दिक्कतों से डील कर सके, लेकिन इसमें वह सरकार को assembly या फिर दूसरे तरीकों की मदद से influence करने का मौका खो देंगे या वह मौके कम हो जाएंगे।
बहुत से शहर-देश इस दुविधा से निपटने के लिए दूसरे शहर-देशों और बड़ी राजनीतिक संगठनों के साथ alliance बना लेते थे।
लेकिन इस दिक्कत को तब तक ठीक नहीं किया जा सकता है, जब तक उस सरकार का पूरा विकास न हो जाए, जैसे कि सबसे पहले 18वीं सदी में northern Europe में देखा गया था।
19वी सदी में Europe और North America ने प्रतिनिधिक लोकतंत्र की ओर कदम क्यों बढ़ाया था?
17वी सदी तक, लोकतांत्रिक theorists और राजनीतिक लीडर्स ने इस बात को नकारा था कि एक legislature में नागरिक में से कोई भी नहीं होना चाहिए, जैसा कि ग्रीस और रोम में होता रहा था।
नाही किसी उम्मीदवार को छोटी oligarchy से चुना जाटा था, जैसे कि Italian republic में होता था। बहुत सारे war और लोगों की demands के बावजूद भी लोकतंत्र का इस्तेमाल अगली एक सदी तक नहीं किया गया।
लोकतंत्र या फिर गणतंत्र?
क्या एक बहुत बड़े representative सिस्टम के लिए सबसे सही नाम लोकतंत्र है, जैसे कि शुरुआती समय में United States? 18 वीं सदी के अंत में, “लोगों के द्वारा शासन” शब्द का मतलब लोकतंत्र और गणतंत्र की वजह से लोगों के मन में unclear रह गया था।
इन दोनों का शब्दों का इस्तेमाल संगठनों से बने हुए systems जैसे कि ग्रीस और रोम में किया गया था, हालांकि उन प्रतिनिधियों को legislature की ताकतें है नहीं दी गई थी जो जनता द्वारा elect किए गए थे।
जैसा कि हमने आपको बताया कि इस terminology के ऊपर लोगों के मन में बहुत ही ज्यादा confusion पैदा हो गया था, तो इस बात से आपको बिल्कुल भी अचंभित नहीं होना चाहिए कि किसानों ने novel सरकार बनाने के लिए बहुत सी बातें employ कर दी थीं।
इस दुविधा का हल कैसे निकाला गया?
18वी सदी के अंत में लोकतंत्र का विचार और उसका इस्तेमाल दोनो ही बदल गए थे। राजनीतिक theorists ने यह समझ लिया था कि modern era में बड़े देश-राज्य में लोकतंत्र को practicable बनाने के लिए उन्हें nondemocratic प्रैक्टिस का इस्तेमाल करना होगा।
दूसरे शब्दों में, representation, इस प्राचीन दुविधा का समाधान था, क्योंकि राजनीतिक संगठनों की बड़ी दिक्कत को सुलझाने के लिए और नागरिकों को सरकार में पार्टिसिपेट करने का मौका देने के लिए इसकी ही जरूरत थी।
और जो लोग पुराने traditions का अभी भी इस्तेमाल कर रहे हैं, लोकतंत्र और रिप्रेजेंटेशन का यूनियन उनके लिए एक बहुत ही बेहतरीन invention है।
20 वी सदी में लोकतंत्र कैसे फैला?
20 वी सदी में जो देश प्रतिनिधि लोकतंत्र का इस्तेमाल कर रहे थे, उनकी तादात बहुत ज्यादा बढ़ गई थी। 21वी सदी के शुरुआती समय में, स्वतंत्र observers ने इस बात में हामी भरी की दुनिया के एक तिहाई स्वतंत्र देशों में लोकतांत्रिक संगठन है।
और साथ ही में दुनिया के one-sixth देशों में, इन संगठनों ने लोकतांत्रिक सरकार लाने में बहुत ज्यादा improvements दिखाया था। सारी बातों को जोड़कर, इन लोकतांत्रिक और लोकतांत्रिक होने वाले देशों ने दुनिया की आधी आबादी को contain किया था।
तो लोकतांत्रिक संगठनों की इस तरह बढ़ने की वजह क्या थी?
बिना लोकतंत्र वाले systems का fail होना
इस बारे में हम यह कह सकते हैं कि जिन सरकारों ने लोकतंत्र का इस्तेमाल नहीं किया चाहे वह पुरानी हो या नई उन्हें राजनीति, इकोनामी मिलिट्री में बहुत ही ज्यादा घाटा हुआ जिसकी वजह से वह लंबे समय तक नहीं टिक पाई।
Market की economy की वजह से
इन ideological और संगठनों में बदलाव के साथ इकोनॉमी वाली संगठनों में भी बदलाव हुए। बहुत ही ज्यादा centralized इकॉनोनी की वजह से राजनीतिक लीडर्स को यह मौका मिला कि वह अपने साथ वाले लोगों को रिवार्ड दें सके और जो उनकी निंदा करें उन्हें सजा दे दें।
Economic वैल-बीइंग
मार्केट की इकोनामी बेहतर होने की वजह से लोकतंत्र और भी जगहों पर बड़ा। और जैसे ही दुनिया की आबादी के बड़े हिस्सों में लोगों के रहन-सहन का तरीका बेहतर होने लगा, वैसे ही यह बात सच हो गई कि जो नई बनी हुई लोकतांत्रिक संगठन हैं, वह लंबे समय तक टिकेंगी और उससे लोगों को ज्यादा फायदा भी मिलेगा।
सरल भाषा में बताया जाए तो, लोकतांत्रिक देश जहां पर गरीबी है वह उन देशों के मुकाबले ज्यादा लंबे समय तक टिक सकते हैं, जहां पर लोकतंत्र नहीं है लेकिन उनके लोग ज्यादा बेहतर जिंदगी जी रहे हैं।
राजनीतिक culture
20 वी सदी के दौरान, कुछ देशों में जहां पर acute economic, राजनीतिक, आदि दिक्कतों थी, इन सब के बावजूद वहां पर लोकतंत्र मौजूद था, जैसे कि Great Depression के दौरान।
जैसा कि आप हमसे पूछ रहे थे कि loktantra ki kya visheshta hai या loktantra kya hai iski visheshata bataiye?
तो इन सब बिना लोकतंत्र वाली संगठनों ने जिन कठिनाइयों को देखा है उसे पढ़कर आपको यह पता चल गया होगा कि लोकतंत्र के क्या फायदे हैं।
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निष्कर्ष about Loktantra kya hai
21वी सदी के शुरुआती समय में लोकतंत्र पर बहुत सी दिक्कतें आई थी, कुछ दिक्कतें सालों से चलती आ रही थी और कुछ ऐसी है जो अभी-अभी उबर के आई हैं।
जैसे कि हर किसी को सामान्य resources ना मिलना, लोगों का अपना देश छोड़कर दूसरे देशों में जाना, दुनिया में terrorism फैलना, आदि।
इन सब चीजों के बावजूद, हम अभी भी यह कह सकते हैं कि दुनिया के बहुत सारे देशों में, लगभग आधी से ज्यादा आबादी में democratic सरकारें चलती रहेंगी, ताकि हम नए और पुरानी दिक्कतों से निपट पाएं।
दोस्तों इस आर्टिकल में हमने आपको बताया कि loktantra kya hai hindi या लोकतंत्र क्या है इन हिंदी, इसे कैसे बनाया गया, इसकी history क्या है, इसके फायदे क्या है और इससे जुड़ी हुई सारी जानकारी आपको दी।
उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल Loktantra kya hai या लोकतंत्र क्या है? पसंद आया होगा, इसे पढ़ने के लिए धन्यवाद!
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