Makar Sankranti kya hai या मकर संक्रांति क्या है, उत्तरायण क्या है, Makar Sankranti 2022, मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है, मकर संक्रांति वैज्ञानिक महत्व, आयुर्वेदिक महत्व, पौराणिक महत्व, मकर संक्रांति अर्थ क्या है।
दोस्तों हमारे ब्लॉग के आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे की मकर संक्रांति क्या है, मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है और साथ ही में मकर संक्रांति के विषय से जुड़ी हुई सारी जानकारी भी आपको देंगे। आपको केवल हमारे ब्लॉग के इस आर्टिकल को बड़े ही ध्यान से और अंत तक पढ़ना होगा। हमारा आपसे यह वादा है कि हमारे ब्लॉग के इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको कहीं और मकर संक्रांति के विषय के बारे में ढूंढने की या फिर पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
तो क्या आप इस बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए तैयार हैं कि मकर संक्रांति क्या है।
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मकर संक्रांति क्या है? | उत्तरायण क्या है?
ज्योतिष (Astrology) के हिसाब से मकर संक्रांति वाले दिन (Makar Sankranti 2022) सूर्य देव या फिर सूरज धनु राशि से होकर मकर राशि में आ जाता है और साथ ही में सूरज के एक राशि से होकर दूसरी राशि में जाने को ही संक्रांति कहा जाता है और कई लोग इस दिन को बड़ा ही शुभ मानते हैं। मकर संक्रांति के इस शब्द में मकर शब्द राशि को इंगित करता है और संक्रांति शब्द का अर्थ संक्रमण या प्रवेश करना होता है।
क्योंकि सूरज इस दिन को मकर राशि में प्रवेश कर जाता है, इसी वजह से इस समय को हम मकर संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति के पर्व या त्यौहार को कई जगहों पर ‘उत्तरायण’ भी बोला जाता है। इसी दिन गंगा जी का स्नान किया जाता है, व्रत रखे जाते हैं, लोगों द्वारा कथा करवाई जाती है और कई लोग इस दिन दान पुण्य भी करते हैं और भगवान सूर्य देव की अराधना भी बहुत ही ज्यादा लोगों द्वारा की जाती है।
जब सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव की राशि मकर में आ जाते हैं तब उस दिन को मकर संक्रांति बोला जाता है, जिस दिन सूरज की गति उत्तरायण हो जाती है। तो बोला जाता है कि उस समय सूरज की किरणों से अमृत की बरसात हर जगह होने लगती है और इस पर्व को हर साल 15 जनवरी के दिन मनाया जाता है।
साथ ही में लोगों द्वारा यह मान्यता भी है कि इसी दिन गंगा यमुना सरस्वती के संगम प्रयाग में ही सारे देवी और देवता अपना शरीर या स्वरूप बदल कर स्नान करने जाते हैं। इन्ही कारणों की वजह से इस पर्व को बड़ी मान्यता दी जाती है और बहुत से लोग इस दिन दान पुण्य का काम करते हैं और दूसरों की मदद करने की कोशिश करते हैं।
इस त्यौहार को सूरज की गति के हिसाब से निकाला जाता है और सूर्य के धनराशि से निकलने के बाद मकर राशि में आने के कारण, यह त्यौहार मकर संक्रांति और ‘देवदान’ पर्व के नाम से भी कई जगहों पर जाना जाता है। मकर संक्रांति हिंदुओं का एक बहुत ही ज्यादा प्रमुख त्यौहार है। इस दिन धार्मिक चीजों का बहुत ही ज्यादा विशेष महत्व होता है, और जो भी दान-पुण्य इस दिन किया जाता है।
वह 100 गुना बढ़ कर वापस मिलता है और भारत के अलावा नेपाल में भी इस पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। मकर संक्रांति को तमिलनाडु में पोंगल के रूप में मनाया जाता है, जबकि कर्नाटक केरल और आंध्र प्रदेश में इस त्यौहार को केवल संक्रांति कहा जाता है। साथ ही में कुंभ के पहले स्नान से इस चीज की शुरुआत की जाती है और वही दिन मकर संक्रांति भी कहलाती है।
मकर संक्रांति क्या है के हमारे इस आर्टिकल में हमने सबसे पहले आप लोगों द्वारा पूछे जाने वाले सबसे ज्यादा जरूरी सवाल का जवाब दिया है कि आखिर मकर संक्रांति क्या होती है और इस त्यौहार का महत्व लोगों में क्या होता है। लेकिन मकर संक्रांति को क्यों मनाया जाता है या फिर संक्रांति को पूरे भारतवर्ष में लोग क्यों मनाते हैं।
मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं?
मकर संक्रांति का त्यौहार पौष महीने के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है और जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया था कि इसी दिन सूर्य धनु राशि से होकर मकर राशि में प्रवेश कर जाता है। जिसकी वजह से इस दिन को सूर्य उत्तरायण मतलब की सूर्य के उत्तर दिशा की ओर चलना भी कहा जाता है और हमारे शास्त्रों में भी उत्तरायण की अवधि को देवी- देवताओं का दिन (day) और दक्षिणायन को देवी- देवताओं की रात (night) के रूप में माना जाता है।
Makar sankranti के ही दिन लोग स्नान, तप, पुण्य, दान, जप, आदि चीजें करते हैं और इसी दिन घी और कंबल के दान को बहुत ही ज्यादा विशेष महत्व दिया जाता है और यह भी माना जाता है कि जो भी इंसान मकर संक्रांति के दिन घी और कंबल का दान करता है, उसे वह वस्तु 100 गुना होकर प्राप्त होती है।
इस त्यौहार का संबंध केवल धार्मिक रूप से ही नहीं बल्कि climate के परिवर्तन और किसानों के लिए भी बहुत ही ज्यादा जरूरी है और माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन और रात दोनो बराबर होती हैं, लेकिन मकर संक्रांति का साइंटिफिक महत्व या वैज्ञानिक महत्व क्या होता है।
मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्व क्या होता है? (मकर संक्रांति वैज्ञानिक महत्व)
मकर संक्रांति का केवल धार्मिक महत्व ही नहीं होता है, इस दिन बहुत ही ज्यादा चीजें ऐसी भी होती हैं जो वैज्ञानिकों द्वारा जरूरी मानी जाती है और वैज्ञानिकों का मानना है कि जब सूरज मकर राशि में प्रवेश कर जाता है, तो मकर संक्रांति का योग बन जाता है। सूर्य देव को सारे प्लैनेट्स का देवता माना जाता है और यह सारी 12 राशियों में प्रभाव डालते हैं। लेकिन कर्क और मकर राशियों में सूर्य देव का प्रवेश करना बहुत ही ज्यादा लाभदायक और फायदेमंद माना जाता है।
प्राचीन काल में या फिर पुराने समय में भी मकर संक्रांति के दिन को बड़ा ही शुभ माना जाता था और लोगों का मानना था कि मकर संक्रांति के दिन से ही शुभ कार्य शुरू किए जाते हैं और वैज्ञानिकों का मानना है कि इस अवधि में सारी नदियों में वाष्पन क्रिया शुरू हो जाती है और इस क्रिया की वजह से कई तरह की बीमारियां दूर हो जाती है इसी वजह से मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी में स्नान करना बहुत ही ज्यादा लाभदायक माना जाता है।
लोगों का यह भी कहना है कि अगर आप मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी में स्नान करेंगे, तो आपके सारे रोग, चाहें वह शारीरिक रूप से हों या फिर मानसिक रूप से, दूर हो जाएंगे। लेकिन मकर संक्रांति के दिन वातावरण में क्या बदलाव होते हैं।
मकर संक्रांति से वातावरण में क्या बदलाव होते हैं?
मकर संक्रांति क्या है के आर्टिकल के इस भाग में हम आपको बताएंगे कि मकर संक्रांति के आने से वातावरण या फिर एनवायरमेंट में क्या बदलाव होते हैं और जैसे ही मकर संक्रांति का दिन आता है, वैसे ही नदियों में वाष्पन का प्रोसेस शुरू हो जाता है, जिससे शरीर के कई रोग और बीमारियां दूर हो जाती है और साथ ही में इस दिन तिल और गुड़ खाना बहुत ही ज्यादा फायदेमंद माना जाता है और यह चीजें आपके शरीर को गर्मी देती है।
इस दिन से सूर्य का ताप शीत को भी कम कर देता है और मकर संक्रांति के दिन के बाद गर्मी का मौसम भी आने लगता है। लेकिन आयुर्वेद के हिसाब से मकर संक्रांति का महत्व क्या होता है और क्या मकर संक्रांति पर खिचड़ी या पोलेंटा खाने से क्या लाभ होते हैं।
आयुर्वेदा में मकर संक्रांति का महत्व क्या है? (मकर संक्रांति आयुर्वेदिक महत्व)
जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया था कि मकर संक्रांति का महत्व केवल एक ही धर्म में या फिर एक ही फील्ड में नहीं है और आयुर्वेद के हिसाब से इस मौसम में चलने वाली सर्दी की हवा से लोगों को कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं और इसी वजह से लोगों को प्रसाद के रूप में खिचड़ी, गुड़ और तिल से बनी हुई मिठाइयों को खाना चाहिए और साथ ही में खाने में भी खिचड़ी का सेवन ज्यादा करना चाहिए।
आयुर्वेदा में ऐसा माना गया है कि इस मौसम में तिल और गुड़ से बनी हुई मिठाई शरीर से जुड़े हुए रोगों को दूर करने की क्षमता रखती हैं और इससे आपकी immunity भी बढ़ती है, जो इस समय बहुत ही ज्यादा जरूरी है। तो अगर आपकी इम्यूनिटी कम है, तो आप मकर संक्रांति के मौसम में तिल और गुड़ की गजक खाना शुरू कर सकते हैं और इन दोनों चीजों से बनी हुई मिठाइयों को भी खा सकते हैं।
क्योंकि ऐसा देखा गया है कि इन सभी चीजों के सेवन से आपके शरीर के अंदर गर्मी पहुंचती है और आप बीमारियों से दूर रहते हैं।
मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी, तिल और गुण खाने के क्या फायदे होते हैं? | (मकर संक्रांति के दिन क्या खाएं?)
अगर nutrients की बात की जाए, तो तिल में मैग्नीशियम, कॉपर, आयरन, ट्रायोफोन कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन B1, जिंक और रेशे कुछ मात्रा में पाए जाते हैं, ¼ या एक चौथाई कप या फिर 36 ग्राम तिल के बीज में 206 कैलोरीज होती हैं और यह शरीर के रोगों को मिटाने में बहुत ही ज्यादा लाभकारी होता है। साथ ही में मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाना भी बहुत ज्यादा लाभकारी माना जाता है।
खिचड़ी शरीर के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद होती है और खिचड़ी का सेवन करने से आपकी पाचन क्रिया भी सही रूप से संचालित करने लगती है और अगर खिचड़ी को मटर और अदरक में मिलाकर बनाया जाए तो यह शरीर के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद होती है और खिचड़ी शरीर में बैक्टीरिया से लड़ने में भी मदद करती है और इसके सेवन से आप कई बीमारियों से बच सकते हैं।
आशा करते हैं कि अब आपको समझ में आ गया होगा कि मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी, गुड़ या फिर तिल के सेवन से आपको क्या फायदे मिलते हैं और इन तीनों चीजों को आयुर्वेदा में मकर संक्रांति के दिन इतना ज्यादा लाभकारी क्यों माना जाता है, लेकिन मकर संक्रांति से जुड़ी हुईं पौराणिक मान्यताएं क्या हैं और यह पर्व पौराणिक रूप से इतना जरूरी क्यों है।
मकर संक्रांति से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं क्या हैं? (मकर संक्रांति पौराणिक महत्व)
मकर संक्रांति के पर्व से जुड़ी हुई बहुत सी पौराणिक मान्यताएं हैं और कई कथाएं हैं, जिनमें से एक यह भी है कि इसी दिन भगवान विष्णु के अंगूठे से निकलकर गंगा जी भागीरथ के पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जाकर मिल गई थी और भागीरथ के पूर्वज महाराज सागर के बेटों या पुत्रों को मुक्ति मिल गई थी।
इसी वजह से बंगाल के गंगा सागर में कपिल मुनि के आश्रम में एक बहुत बड़ा मेला भी लगता है और इसी वजह से गंगासागर में इस दिन नहाना बहुत ज्यादा लाभकारी माना गया है। आशा करते हैं कि अब आपको समझ में आ गया होगा कि मकर संक्रांति के पर्व से जुड़ी हुई पौराणिक मान्यताएं क्या हैं, लेकिन मकर संक्रांति को अलग-अलग राज्यों में किन नामों से जाना जाता है और मनाया जाता है।
मकर संक्रांति को अलग अलग राज्यों में किन नामों से जाना व मनाया जाता है? | (भारत के विभिन्न राज्यों मे मकर संक्रांति को किस नाम से मनाया जाता है?)
मकर संक्रांति को भारत के अलग-अलग राज्यों में विभिन्न (अलग-अलग) नामों से जाना जाता है और मनाया भी जाता है जैसे कि–
- उत्तर प्रदेश के क्षेत्र में मकर संक्रांति को ‘खिचड़ी पर्व’ भी कहा जाता है, इसी दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है और चावल दाल के साथ खिचड़ी लोगों द्वारा प्रसाद के रूप में खाई जाती है। साथ ही में खिचड़ी को कई लोगों द्वारा दान किया जाता है।
- राजस्थान और गुजरात में मकर संक्रांति को ‘उत्तरायण पर्व’ के रूप में माना जाता है और इसी दिन दोनों ही राज्यों में बड़े ही धूमधाम से पतंग का उत्सव आयोजित किया जाता है। आंध्र प्रदेश के क्षेत्रों में संक्रांति नाम से तीन दिनों का पर्व या त्यौहार मनाया जाता है।
- साथ ही में, तमिलनाडु के छेत्र में खेती और किसानों के लिए मकर संक्रांति एक बहुत ही ज्यादा प्रमुख पर्व के रूप में मनाया जाता है और यह त्यौहार ‘पोंगल’ नाम से मनाया जाता है और इसी दिन में दाल और चावल की खिचड़ी बनाई जाती है।
- महाराष्ट्र के क्षेत्र में ‘मकर संक्रांति’ या फिर ‘संक्रांति’ के नाम से इस त्यौहार को मनाया जाता है और यहां पर लोग गजक और तिल के लड्डू खाते हैं और दूसरों को दान भी करते हैं और यहां लोग आपस में मकर संक्रांति की भेंट देकर शुभकामनाएं भी देते हैं।
- बंगाल के पश्चिम इलाके में मकर संक्रांति के दिन हुगली नदी में गंगा सागर के मेले का आयोजन होता है, जबकि आसाम में इस पर्व को ‘भोगली बिहू’ के नाम से कई जगह मनाया जाता है।
आशा करते हैं कि अब आपको समझ में आ गया होगा कि मकर संक्रांति को भारत के अलग-अलग राज्यों में किस नाम से मनाया जाता है। आप किस राज्य में रहते हैं और आपके क्षेत्र में इस त्यौहार को किस नाम और तरीके से मनाया जाता है, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
FAQs about Makar Sankranti Kya Hai
मकर संक्रांति त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
जब सूर्य देव या सूरज धनु राशि से होकर मकर राशि में प्रवेश कर जाते हैं, तब हम मकर संक्रांति के त्यौहार या पर्व को मनाते हैं और मकर संक्रांति के पर्व पर तिल से नहाना और तिल और गुण के लड्डू और खिचड़ी खाना बहुत ही ज्यादा लाभदायक माना जाता है और इनसे शरीर की इम्यूनिटी भी बढ़ती है।
बिहार में मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती है?
बिहार में मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी और तिलकुट आदि से बनी हुई चिक्की या फिर मिठाई खाई जाती है और साथ ही में खिचड़ी और तिल का दाना भी दिया जाता है। बिहार में मकर संक्रांति को ‘मकरसंक्रांति’ के नाम से जाना जाता है और इसी दिन चावल, तेल, चेवड़ा, उड़द, स्वर्ण, गौ, कंबल, आदि दान किए जाते हैं और यह मान्यता है कि जो भी वस्तु दान की जाती है, उसका 100 गुना उस इंसान को मिलता है।
मकर संक्रांति के दिन क्या बनाएं?
मकर संक्रांति के पर्व या त्यौहार पर गंगा स्नान, व्रत, कथा, सूर्य देव की उपासना और दान किया जाता है साथ ही में इस दिन खिचड़ी खाई जाती है और गुड़ और तिल के लड्डू का सेवन किया जाता है। आयुर्वेदा में यह भी लिखा है कि इस महीने में तिल और गुड़ के लड्डू खाने से शरीर स्वस्थ रहता है और बीमारियों से बचा रहता है।
मकर संक्रांति के दिन पानी में क्या डालकर स्नान करने की विधि है?
इस दिन गंगाजल के साथ में तिली डालकर नहाने की विधि है और माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में नहाने से शरीर की बीमारियां दूर हो जाती है और आप कई रोगों से बच जाते हैं और साथ ही में इस दिन सूर्य देव के निकलने से पहले ही स्नान करना लाभदायक माना जाता है।
मकर संक्रांति के दिन क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए?
मकर संक्रांति के पर्व पर आपको लहसुन, मदिरा, प्याज या फिर मांस नहीं खाना चाहिए और साथ ही में इस दिन आपको अपशब्द नहीं बोलने चाहिए और मकर संक्रांति के दिन महिलाओं को बाल धोने से बचना चाहिए और साथ ही में पुण्यकाल में दांत साफ नहीं करना चाहिए या फिर ब्रश नहीं करना चाहिए।
गुजरात में मकर संक्रांति को क्या कहते हैं?
गुजरात में मकर संक्रांति को ‘उत्तरायण पर्व’ के रूप में मनाया जाता है और तिल के लड्डू बनाकर खाए व दान किए जाते हैं।
मकर संक्रांति के दिन कितने बजे नहाना चाहिए?
शास्त्रों के हिसाब से हमें मकर संक्रांति या फिर संक्रांति के दिन 6 बजे से पहले ही नहा लेना चाहिए, मतलब कि आपको सूर्यदेव या सूरज के आने से पहले ही स्नान कर लेना चाहिए और सूर्य देव की अराधना करना चाहिए।
14 जनवरी को कौन सा त्यौहार होता है?
14 जनवरी के दिन मकर संक्रांति, सूर्य उत्तरायण या शिशिर ऋतु मनाई जाती है।
निष्कर्ष
दोस्तों, हमारे ब्लॉग के आज के इस आर्टिकल में हमने आपको बताया कि मकर संक्रांति क्या है या फिर मकर संक्रांति क्या होती है और साथ ही में हमने आपको मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) के पर्व या त्यौहार के विषय से जुड़ी हुई सारी जानकारी भी देने की कोशिश की है और आप से किए गए अपने वादे को भी पूरा किया है।
लेकिन अगर आपके मन में अभी भी मकर संक्रांति के विषय से जुड़ा हुआ कोई सवाल रह गया है, तो आप उसके बारे में हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। ताकि हम आपको उस सवाल या query का जवाब दे सकें और आपके लिए मकर संक्रांति क्या है (Makar Sankranti kya hai) का विषय समाप्त हो सके और आप इस पावन पर्व या त्यौहार की importance को समझ सके और मना सकें।
हमारे ब्लॉग के इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद!
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